04. शॉर्ट कॉल ऑप्शन: यह क्या है और शॉर्ट कॉल ट्रेड कैसे करें

क्यूरेट बाय
विवेक गडोदिया
सिस्टम ट्रेडर और एल्गो स्पेशलिस्ट
English Watch.pngWatch Take Quiz
Complete 1 more chapters to earn Greenhorn badge

आप यहां क्या सीखेंगे

  • शॉर्ट कॉल क्या है?
  • शॉर्ट कॉल ट्रेड कब बनाएं
  • शॉर्ट कॉल्स बनाम लॉन्ग पुट
  • शॉर्ट कॉल ट्रेड करते समय विचार करने फैक्टर्स

शॉर्ट कॉल

चार बुनियादी ऑप्शन स्ट्रेटेजीज में से एक शॉर्ट कॉल ट्रेड है। एक शॉर्ट कॉल पोजीशन तब बनती है जब ट्रेडर को लगता है कि अंडरलाइंग की कीमतें गिरेंगी। यह एक बियरिश स्ट्रैटेजी है, जहां एसेट की कीमत गिरने पर ट्रेडर पैसा बनाता है। Short Call Stratergy हालांकि, अगर एसेट की कीमत उसके खिलाफ चलती है तो इसका परिणाम अनलिमिटेड लॉस हो सकता है।

डेफ़िनेशन

कॉल ऑप्शन को बेचकर एक शॉर्ट कॉल पोजीशन बनाई जाती है, जब ट्रेडर अंडरलाइंग एसेट की कीमत गिरने की उम्मीद करता है, नीचे दिया गया चार्ट एक शॉर्ट कॉल ऑप्शन का पे-ऑफ चित्र दिखाता है।

जैसा कि पे-ऑफ चित्र से देखा जा सकता है, शॉर्ट कॉल में लिमिटेड प्रॉफिट क्षमता और अनलिमिटेड लॉस होता है। मान लीजिए, 17300 कॉल ऑप्शन को 314.75 पर बेचकर शॉर्ट कॉल पोजीशन बनाई गई

चूंकि निफ्टी का लॉट साइज 50 है, ट्रेडर को पोजीशन बनाने पर क्रेडिट 15,737.5 रुपये (314.75*50) मिलेगा।
इस ट्रेड में मैक्सिमम प्रॉफिट क्षमता 15,737.5 रुपये है
थेओरेटिकल्ल्य मैक्सिमम लॉस = इंफिनिटी
ट्रेड बनाने के लिए आवश्यक मार्जिन 82,419 रुपये है
ब्रेकइवन = स्ट्राइक प्राइस + प्रीमियम कलेक्टेड = 17300 + 314.75 = 17614

शॉर्ट कॉल ट्रेड कब बनाएं

एक शॉर्ट कॉल ऑप्शन इस दृष्टि से बनाया गया है कि अंडरलाइंग एसेट की कीमत आने वाले वक़्त में गिर सकता है। यहाँ तक कि अगर अंडरलाइंग गिरता नहीं है, लेकिन जहाँ है वहीं रहता है, थीटा या समय समाप्ती के कारण ट्रेड प्रॉफिटेबल होगा।

जब अंडरलाइंग एसेट बेचे गए स्ट्राइक प्राइस से नीचे रहता है तो ट्रेडर पैसे कमाएगा। एक ऑप्शन बेचने के लिए सफलता की संभावना अधिक है, खासकर जब ट्रेड कुछ दिनों में किया जाता है। अगर एक डायरेक्शन निचे मूव करता है ,ट्रेड में लाभ होता है अगर ये मूव डेल्टा और थीटा डीके की दिशा में सही होता है, जबकि यह सिर्फ थीटा डीके से प्रॉफ़िट्स होता है अगर एसेट वहीं रहता है या ब्रेकइवन पॉइंट से नीचे रहता है।

ट्रेडर जब धीमी गति से नीचे की ओर बढ़ने की उम्मीद कर रहे हों तो शॉर्ट कॉल ट्रेड बना सकते हैं। तेज गिरावट के मामले में, पुट ऑप्शन या और कोई डेबिट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज को खरीदने से बेहतर रिटर्न मिलता है।

Payoff diagram of a Short Call Option

ट्रेडर्स इंट्राडे ट्रेड लेने के लिए शॉर्ट कॉल स्ट्रेटेजी का भी इस्तेमाल करते हैं और मल्टी-लेग स्ट्रेटेजी बनाने के लिए अन्य ऑप्शंस के साथ कॉम्बिनेशन में इसका इस्तेमाल करते हैं।

अक्सर, कवर्ड कॉल ट्रेड में शॉर्ट कॉल स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल किया जाता है।यहाँ, एक कवर कॉल बनाने के लिए इन्वेस्टर के पोर्टफोलियो के कॉम्बिनेशन में शॉर्ट कॉल का इस्तेमाल किया जाता है। इन्वेस्टर एक आउट-ऑफ़-द-मनी (ओटीएम) कॉल ऑप्शन बेचता है जो ब्रॉड मार्केट में गिरावट या स्थिर रहने पर लाभदायक होगा।

इम्प्लाइड वोलैटिलिटी पर्सेंटाइल (आईवीपी) या इंप्लाइड वोलैटिलिटी रैंक (आईवीआर) हाई होने पर ट्रेड सबसे अच्छा रिजल्ट देता है। चूंकि शॉर्ट कॉल स्ट्रेटेजी में बहुत ज़ायदा लॉस की संभावना है, इसलिए एक प्रोफ़ेशनल ट्रेडर के लिए इस स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करना बेहतर है।

ज़रूरी टेकअवे

ट्रेड लेने के दो आसान तरीके हैं जिन्हे प्राइस के नीचे की ओर बढ़ने से फायदे होंगे, एक पुट खरीदना ,और दूसरा, एक शॉर्ट कॉल ट्रेड करना है। कॉल ऑप्शन का सेलर ऑप्शन होल्डर को कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर होने से पहले एक स्पेसिफाइड प्राइस - जिसे स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है - पर अंडरलाइंग सिक्योरिटी खरीदने का अधिकार देता है।

कॉल ऑप्शन के सेलर या राइटर को एक प्रीमियम मिलता होता है जिसका पेमेंट कॉल ऑप्शन का खरीदार करता है।

शॉर्ट कॉल स्ट्रेटेजी फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है। ट्रेडर कॉल ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस जितना चाहे उतना हाई सेट कर सकता है, इस संभावना को बढ़ाते हुए कि होल्डर ऑप्शन का इस्तेमाल नहीं करेगा।

अगर सेलेर ऑप्शन का इस्तेमाल करता है तो सेलेर जो शॉर्ट कॉल ट्रेड लेता है उसे कॉल खरीदार को, अंडरलाइंग शेयरों डिलीवर करना होगा। ट्रेडर जो शॉर्ट कॉल स्ट्रैटेजी लेता है, उसे ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के बेकार एक्सपायर होने पर फायदा होता है। यह तब होगा जब अंडरलाइंग सिक्योरिटी की प्राइस स्ट्राइक प्राइस से नीचे आता है।

शार्ट कॉल ट्रेडर का मैक्सिमम प्रॉफिट तय है जबकि उसका लॉस अनलिमिटेड है।

शॉर्ट कॉल्स बनाम लॉन्ग पुट

जब अंडरलाइंग की कीमत गिरती है तो शॉर्ट कॉल ट्रेड और लॉन्ग पुट ट्रेड दोनों को फायदा होता है। लॉन्ग पुट ऑप्शंस ट्रेड में अनलिमिटेड गेन का मौका होता है जबकि शॉर्ट कॉल ट्रेडर के गेन को कलेक्ट किए गए प्रीमियम की रक्म के रूप में डिफाइन किया जाता है।

अगर अंडरलाइंग की प्राइस ऊपर उठती है, तो लॉन्ग पुट ट्रेड के लॉस को प्रीमियम के लिए पेमेंट की गई रक्म के रूप में डिफाइन किया जाता है। शॉर्ट कॉल ट्रेडर के पास अनलिमिटेड लॉस का अवसर होता है।

अगर अंडरलाइंग कुछ नहीं करता है, यानी छोटी रेंज में मूव करता है, तो लॉन्ग पुट ट्रेड में पैसे का नुकसान होता है, जबकि शॉर्ट कॉल ट्रेड में कीमत घटने से फायदा होता है।

शॉर्ट कॉल ट्रेड करते समय सोच विचार करने वाले फैक्टर्स

अंडरलाइंग प्राइस में बदलाव का असर

शॉर्ट कॉल ट्रेड आम तौर पर अंडरलाइंग के अपोजिट दिशा में चलता है। हालाँकि, ऐसा कभी नहीं होता है। अंडरलाइंग और कॉल ऑप्शन के बीच का संबंध काफी हद तक डेल्टा कहे जाने वाले ऑप्शन ग्रीक के वैल्यू पर निर्भर करता है। इस तरह ,अगर किसी ऑप्शन में 0.20 का डेल्टा है, तो अंडरलाइंग के हर 100 पॉइंट्स की चाल के लिए, ऑप्शन 20 पॉइंट्स से आगे बढ़ेगा।

दूरी के आधार पर ट्रेडर मार्केट के बढ़ने की उम्मीद करता है, वह ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस का चयन कर सकता है और सबसे अच्छा रिटर्न देने वाले को चुन सकता है।

वोलैटिलिटी का असर

ऑप्शन सेलेर आमतौर पर ट्रेड को हाइली वोलेटाइल वातावरण में लेना पसंद करते हैं क्योंकि यह उन्हें घर ले जाने के लिए हाई प्रीमियम प्रदान करता है। शॉर्ट कॉल ट्रेड लेने का सही वक़्त इंप्लाइड वोलैटिलिटी रैंक (आईवीआर) या इंप्लाइड वोलैटिलिटी पर्सेंटाइल (आईवीपी) पर आधारित हो सकता है। उतार-चढ़ाव कम होने पर एक हाई रैंक या पर्सेंटाइल ट्रेडर को इन्वेस्टमेंट के अवसर पर अच्छा रिटर्न प्रदान करेगा।

वक़्त का असर

समय एक ऑप्शन सेलेर का सबसे अच्छा दोस्त है। समय के साथ ऑप्शन के वैल्यू घटते जाता है, जिससे प्राइस के ना गिरने के बावजूद ट्रेडर के जीतने की संभावना बढ़ जाता है। एक शॉर्ट कॉल ट्रेड प्रॉफिट में समाप्त हो सकता है, भले ही दिशा गलत क्यों ना हो, लेकिन एक्सपायरी के वक़्त ब्रेक इवन पॉइंट को पार करने में असफल रहा हो।

स्टॉक प्राइस में बदलाव का असर

कॉल की कीमतें, आम तौर पर, अंडरलाइंग की कीमत में बदलाव के साथ रुपये-से-रुपये में बदलाव नहीं करता हैं। बल्कि, उनके "डेल्टा" के आधार पर कीमतों में बदलाव की मांग करता है। एटीएम कॉल में आमतौर पर लगभग 50% का डेल्टा होता है। इसलिए, स्टॉक की कीमत में 1 रुपये की वृद्धि या गिरावट के वजह से एट-द-मनी कॉल में 0.50 पैसे की वृद्धि या गिरावट होती है। आईटीएम कॉल में डेल्टा 50% से अधिक होता है, लेकिन 100% से अधिक नहीं । ओटीएम कॉल में डेल्टा 50% से कम होता है, लेकिन शून्य से कम नहीं।

वोलैटिलिटी में बदलाव का असर

वोलैटिलिटी इस बात का माप है कि परसेंटेज के संदर्भ में स्टॉक की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव होता है। वोलैटिलिटी ऑप्शन की कीमतों में एक फैक्टर है। जैसे ही वोलैटिलिटी बढ़ती है, ऑप्शन की कीमतों में वृद्धि होती है, अगर स्टॉक की कीमत और एक्सपायरी टाइम जैसे अन्य फैक्टर कांस्टेंट रहते हैं। नतीजतन, शॉर्ट कॉल की पोजीशन को बढ़ती वोलैटिलिटी से लाभ होता है और घटती वोलैटिलिटी से नुकसान पहुँचता है।

वक़्त का असर

एक ऑप्शन का टोटल प्राइस का टाइम वैल्यू पोरशन घटता है जैसे ही उसके एक्सपायरी करीब आता है। इसे टाइम इरोज़न के रूप में जाना जाता है। शॉर्ट कॉल ट्रेड के सफलता के लिए, इसका महत्वपूर्ण योगदान है।

निष्कर्ष

एक शॉर्ट कॉल ट्रेड लिमिटेड प्रॉफिट के अवसर प्रदान करता है लेकिन इसके परिणाम में अनलिमिटेड लॉस हो सकता है। हालांकि, ट्रेड में , सेल ऑप्शन ट्रेड होने की वज़ह से सफलता की ज़ायदा संभावना है। शॉर्ट कॉल ट्रेड एक बिल्डिंग ब्लॉक है और काम्प्लेक्स ऑप्शन स्ट्रेटेजी को बनाने के लिए अन्य ऑप्शन बिल्डिंग ब्लॉकों के साथ मिक्स किया जा सकता है।

 Test Your Learning Test Your Learning Get 200 points and a Greenhorn badge
Answer a question
brain
Feeling smart?
You think you are the master of the entire module? Then take the certification quiz for the whole module and get an Espresso Bootcamp Certification!
TAKE CERTIFICATION QUIZ
All Modules