लॉन्ग पुट ऑप्शन: यह क्या है और इसे शुरू करने से पहले किन बातों पर विचार करना चाहिए

क्यूरेट बाय
विवेक गडोदिया
सिस्टम ट्रेडर और एल्गो स्पेशलिस्ट

आप इस चैप्टर में क्या सीखेंगे

  • लॉन्ग पुट ऑप्शन क्या है?
  • लॉन्ग पुट कब खरीदें?
  • लॉन्ग पुट खरीदते समय किन फैक्टर्स को कंसीडर किया जाना चाहिए

मार्केट में बुलिश व्यू रखने वाले ट्रेडर्स के लिए एंट्री लेवल की स्ट्रेटेजी एक लॉन्ग कॉल है। इसी तरह, एक बियरिश व्यू में एक लॉन्ग पुट ट्रेड होता है। पुट ऑप्शन खरीदना भी हेजर्स के लिए एक एंट्री-लेवल ट्रेड है।

Long Put Stratergy

पुट उन इन्वेस्टर्स द्वारा खरीदे जाते हैं जिन्हें लगता है कि मार्केट का गिरना तय है और वे अपने पोर्टफोलियो की रक्षा करना चाहेंगे। चूंकि मार्केट में गिरावट आम तौर पर तेज और कम वक़्त के लिए होता है, पुट खरीदने से इन्वेस्टर्स को शार्ट-टर्म प्रॉफिट के मौके मिलते हैं। पुट ऑप्शन खरीदने का विकल्प स्टॉक को शॉर्ट बेचना है। लेकिन ऑप्शंस के लिमिटेड लॉस की तुलना में स्टॉक को शॉर्ट बेचने पर अनलिमिटेड रिस्क की संभावना होती है।

लॉन्ग पुट ट्रेड की क्षमता को समझने के लिए, आइए इसे करीब से समझें।

लॉन्ग पुट ट्रेड

लॉन्ग पुट तब होता है जब कोई ट्रेडर पुट ऑप्शन खरीदता है। पुट ऑप्शन खरीदने का कारण यह है कि ट्रेडर को लगता है कि अंडरलाइंग एसेट गिर सकता है। अगर अंडरलाइंग गिरता है तो ट्रेडर प्रॉफिट के लिए खड़ा होता है, लेकिन अगर अंडरलाइंग फ्लैट रहता है या ऊपर जाता है तो बजाये प्रॉफिट के लॉस हो सकता है।

बेसिक - पुट ऑप्शन क्या है?

एक लॉन्ग पुट, पुट ऑप्शन के खरीदार को मनचाहा स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग स्टॉक को बेचने का अधिकार देता है। जैसे-जैसे मार्केट गिरता रहता है, पुट ऑप्शन का वैल्यू बढ़ता जाता है।

एक पुट ऑप्शन के खरीदार को अधिकार मिलता है, लेकिन ऑब्लिगेशन नहीं, एक सर्टेन प्राइस पर एक अंडरलाइंग एसेट पर शॉर्ट जाने के लिए, जिसे स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है, एक्सपायरी डेट पर या उससे पहले। अगर अंडरलाइंग प्राइस घटता है, तो पुट कॉन्ट्रैक्ट का वैल्यू भी घटता है। इसके अपोजिट, अगर यह ऊपर जाता है, तो पुट ऑप्शन की कीमत घट जाता है।

ध्यान दें कि यहाँ कीवर्ड " राईट है लेकिन ऑब्लिगेशन नहीं " अंडरलाइंग स्टॉक को बेचने के लिए। पुट ऑप्शन का खरीदार, अधिकार खरीदने के लिए, पुट कॉन्ट्रैक्ट के सेलेर को प्रीमियम का भुगतान करता है। ऑप्शन का खरीदार किसी भी समय मार्केट में ऑप्शन बेचकर या इसके बेकार एक्सपायर होने पर अपना ट्रेड बंद कर सकता है।

पुट ऑप्शन के खरीदार को ट्रेड में एंटर करने से पहले तीन महत्वपूर्ण पॉइंट्स को ध्यान में रखना चाहिए। पहला स्ट्राइक प्राइस है, जो प्री-डेटर्मिन्ड प्राइस है जिस पर अंडरलाइंग एसेट का एक्सचेंज किया जाएगा। दूसरा एक्सपायरी डेट, या वह तारीख है जिस पर कॉन्ट्रैक्ट का सेटलमेंट किया जाता है या बेकार ही एक्सपायर हो जाता है। फाइनली, ऑप्शन खरीदने के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को कंसीडर करना होगा

Payoff diagram of a Long Put Option

आइए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए, निफ्टी 17,759 पर कारोबार कर रहा है और 29 सितंबर, 2022 को एक्सपायरी के लिए 17,850 पुट खरीदकर लॉन्ग पुट ट्रेड लिया जाता है।

चूंकि बाजार 17,825 पर कारोबार कर रहा है, इसलिए 18,000 कॉल एक एट-द-मनी (एटीएम) ऑप्शन है। पोजीशन बनाने के लिए पेमेंट किया गया प्रीमियम 333.75 रुपये था और पोजीशन रखने का वैल्यू 16,687.50 रुपये है। पोजीशन बनाने में ट्रेडर को अधिकतम नुकसान 16,687.50 रुपये है। ट्रेडर तब भी ब्रेक इवन पर जाएगा जब मार्केट उसके ऑप्शन की स्ट्राइक को पार कर जाएगा, साथ ही कॉल ऑप्शन खरीदने की लागत भी। ब्रेक इवन = 17,850 – 333.75 = 17,516.25

लॉन्ग पुट ट्रेड कब शुरू करें?

एक ट्रेडर जब अंडरलाइंग में बियरिश बेहेवियर की उम्मीद करता है तो लॉन्ग पुट ट्रेड बनाता है। डर और लालच के बीच डर को ज़ायदा शक्तिशाली इमोशन माना जाता है। इस प्रकार, जब मार्केट गिरता है, तो गिरावट शार्प और तेज होगी। यह एक कारण है कि ज़ायदा ट्रेडर्स पुट ऑप्शन खरीदना पसंद करते हैं।

यह सच है कि ऑप्शन सेलर्स अक्सर अपने ट्रेड में सही होते हैं। यहाँ तक कि अगर मार्केट उस दिशा में नहीं बढ़ता है जिस पर उन्होंने दांव लगाया है, तो वक़्त के साथ अपना वैल्यू खोने वाले ऑप्शन की खासियत के कारण यह प्रॉफिटेबल होगा।

यह उन स्थितियों को रेस्ट्रिक्ट करता है जिनके तहत लॉन्ग पुट ऑप्शन ट्रेड क्रिएट किये जा सकता हैं। जायदातर ट्रेडर इंट्राडे के आधार पर लॉन्ग पुट ट्रेड शुरू करते हैं और दिन के आख़िर तक अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ कर देते हैं। कुछ ट्रेडर आज खरीदें कल बेचें (BTST) व्यापार करने के लिए पुट ऑप्शन भी खरीदते हैं। थोड़े समय के लिए मार्केट के सामने आने से ऑप्शन के बर्बाद होने की संभावना कम हो जाती है।

लॉन्ग पुट स्ट्रैटेजी उन स्कैल्पर्स और मोमेंटम ट्रेडर्स द्वारा पसंद की जाती है जो कम समय के लिए मार्केट में हैं। पेशेवर ट्रेडर लॉन्ग पुट ट्रेड करना पसंद करते हैं जब वोलैटिलिटी बहुत कम होता है। जब इम्प्लाइड वोलैटिलिटी पर्सेंटाइल (आईवीपी) या इंप्लाइड वोलैटिलिटी रैंक (आईवीआर) बहुत कम होता है, तो वे लॉन्ग पुट ट्रेडिंग पोजीशन बनाते हैं।

कौन सा पुट ऑप्शन खरीदना है?

किसी भी पुट ऑप्शन स्ट्राइक में पोजिशन लेकर लॉन्ग पुट स्ट्रैटेजी बनाई जा सकती है। कई रिटेल ट्रेडर्स डीप आउट-ऑफ-द-मनी (ओटीएम ) पुट खरीदने की गलती करते हैं क्योंकि यह सस्ता है। इस ऑप्शन के प्रॉफिटेबल होने के लिए चाल बहुत तेज होनी चाहिए और मार्केट को लंबी दूरी तय करनी होगी। स्ट्राइक का चयन एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। अगर ट्रेडर किसी सरप्राइज की उम्मीद कर रहा है, तभी डीप ओटीएम स्ट्राइक में पोजीशन लेने का मतलब है, नहीं तो एट-द-मनी (एटीएम), या थोड़ा सा इन-द-मनी (आईटीएम) या थोड़ा सा ओटीएम स्ट्राइक, पोजीशन बनाने के लिए काफी अच्छी है।

पुट ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस का चयन करने के लिए फैक्टर्स

एक लॉन्ग पुट ट्रेड को थेओरेटिकल्ल्य रूप से अंडरलाइंग के साथ साथ चलना होता है। हालाँकि, ऐसा कभी नहीं होता है। अंडरलाइंग और पुट ऑप्शन के बीच का संबंध काफी हद तक डेल्टा कहे जाने वाले ऑप्शन ग्रीक के वैल्यू पर निर्भर करता है।

इस तरह ,अगर किसी ऑप्शन में 0.20 का डेल्टा है, तो अंडरलाइंग के हर 100 पॉइंट्स की चाल के लिए, ऑप्शन 20 पॉइंट्स से आगे बढ़ेगा। दूरी के आधार पर ट्रेडर मार्केट के बढ़ने की उम्मीद करता है, वह ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस का चयन कर सकता है और सबसे अच्छा रिटर्न देने वाले को चुन सकता है।

वोलैटिलिटी का असर

जब ऑप्शन खरीदने की बात आती है, तो वोलैटिलिटी एक दोस्त है। वोलैटिलिटी में वृद्धि से ऑप्शन की प्राइस में वृद्धि होगी। जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, ट्रेडर एक लॉन्ग पुट ट्रेड में एंटर करना पसंद करता हैं जब वो देखता हैं कि वोलैटिलिटी एक साल में अपने लोएस्ट पॉइंट के करीब है।

वक़्त का असर

वक़्त ऑप्शन खरीदार का दुश्मन है। समय के साथ ऑप्शन की वैल्यू घटती जाती है। इस तरह, एक लॉन्ग पुट ऑप्शन ट्रेड तब लिया जा सकता है जब ट्रेडर कीमतों में तेज उछाल की उम्मीद करता है। लॉन्ग पुट ट्रेड नुकसान में ख़त्म हो सकता है भले ही दिशा सही हो लेकिन अगर एक्सपायरी के समय तक ब्रेक इवन पॉइंट को पार करने में विफल रहा हो।

याद रखने वाली चीज़ें

  • लॉन्ग पुट खरीदना इन्वेस्टर्स का बियरिश रुख का संकेत है। यह हेजर्स के लिए एक एंट्री-लेवल ट्रेड भी है।
  • एक लॉन्ग पुट, पुट ऑप्शन के खरीदार को डीजैएर्ड स्ट्राइक प्राइस पर अंडरलाइंग स्टॉक को बेचने का अधिकार देता है। जैसे-जैसे मार्केट गिरता रहता है, पुट ऑप्शन का वैल्यू बढ़ता जाता है।
  • पुट ऑप्शन खरीदने का विकल्प स्टॉक को शॉर्ट बेचना है। लेकिन ऑप्शंस के लिमिटेड लॉस की तुलना में स्टॉक को शॉर्ट बेचने पर अनलिमिटेड रिस्क की संभावना होती है।
  • पुट ऑप्शन के खरीदार को ट्रेड में एंटर करने से पहले तीन महत्वपूर्ण पॉइंट्स को ध्यान में रखना होगा- स्ट्राइक मूल्य, एक्सपायरी डेट और ऑप्शन खरीदने के लिए पेमेंट किया गया प्रीमियम।
  • लॉन्ग पुट स्ट्रैटेजी उन स्कैल्पर्स और मोमेंटम ट्रेडर्स द्वारा पसंद की जाती है जो कम समय के लिए मार्केट में हैं। पेशेवर ट्रेडर लॉन्ग पुट ट्रेड करना पसंद करते हैं जब वोलैटिलिटी बहुत कम होता हैं। वोलैटिलिटी में वृद्धि से ऑप्शन की प्राइस में भी वृद्धि होगी।
  • वक़्त ऑप्शन खरीदार का दुश्मन है। समय के साथ ऑप्शन की वैल्यू घटती जाती है।
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