रिसर्च रिपोर्ट कैसे पढ़ें

क्यूरेट बाय
संतोष पासी
ऑप्शन ट्रेडर और ट्रेनर; सेबी रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट

आप यहाँ क्या सीखेंगे :

  • रिसर्च रिपोर्ट क्या है?
  • वे स्टॉकहोल्डर्सइन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?
  • रिसर्च रिपोर्ट के प्रकार
  • रिसर्च रिपोर्ट का analysis कैसे करें?

स्टॉक या इक्विटी रिसर्च रिपोर्ट ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग पर मजबूत ज्ञान से तैयार करने के लिए अच्छा रिसोर्स हैं। रिसर्च रिपोर्ट एनालिस्ट द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट फॉर्म में डिटेल्ड एनालिसिस है। ये कंपनी के बिज़नेस, इंडस्ट्री डायनामिक्स और फाइनेंसियल परफॉरमेंस का ओवरव्यू देता है, साथ ही इसमें शामिल रिस्क, जिसके आधार पर एनालिस्ट रेकमेंडेशन करता है।

रिसर्च रिपोर्ट ब्रोकरेज और फंड हाउस के एनालिस्ट द्वारा तैयार की जाती है। ब्रोकरेज द्वारा बनाई गई रिपोर्ट सेल-साइड रिपोर्ट हैं, और फंड हाउस द्वारा बनाई गई रिपोर्ट बाय-साइड रिपोर्ट हैं। बाय-साइड फंड हाउस सेल-साइड के ग्राहक हैं और अपने इन्वेस्टमेंट डिसिशन के लिए अपने रिसर्च के साथ रिपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं। बाय-साइड रिपोर्ट का इस्तेमाल फंड हाउस द्वारा इंटरनल रूप से किया जाता है और पब्लिक रिव्यु के लिए उपलब्ध नहीं होता है। ब्रोकरेज हाउसों में अलग अलग केटेगरी के क्लाइंट्स जैसे फंड हाउस, बैंक, हाई नेट वर्थ इंडिवीडुअल्स, प्रायवेट क्लाइंट ग्रुप्स, रिटेल क्लाइंट्स आदि के लिए रिसर्च टीम्स होते हैं।

रिसर्च रिपोर्ट के प्रकार

  • कवरेज रिपोर्ट शुरू करना जहां नयी स्टॉक आईडिया जारी कि जाती है।
  • सेक्टोरल रिपोर्ट जिसमें सेक्टर्स के अपडेट शामिल होते हैं।
  • इकॉनमी रिपोर्ट में इन्फ्लेशन, ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट्स (जीडीपी), इंटरेस्ट रेट, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंडेक्स (आईआईपी) जैसे मेजर इकोनॉमिक इंडिकेटर्स पर चर्चा की गई है।
  • क्वार्टरली रिजल्ट्स हर एक क्वार्टर के आखिर में जारी कंपनियों के क्वार्टरली परफॉरमेंस पर अपडेट रिपोर्ट करते हैं ।
  • स्पेशल रिपोर्ट तब जारी की जाती है जब कुछ एक्स्ट्राऑर्डिनरी इवेंट्स इंवेटस्मेन्ट के मौके प्रदान करती हैं। नए फॉर्मूले या इन्वेंशन, बायबैक, हाइव-ऑफ, मार्जेर्स और एक्विसिशन्स, की पर्सनल के इस्तीफे, स्ट्राइक आदि से संबंधित इवेंट्स पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों हो सकती हैं, जिनका स्टॉक की कीमतों पर प्रभाव पड़ता है।

रिसर्च रिपोर्ट का उद्देश्य

मुख्य उद्देश्य कंपनी के बिज़नेस और फिनांशल पोजीशन का डिटेल्ड एनालिसिस के आधार पर इन्वेस्टर्स को किसी विशेष कंपनी पर रेकमेंडेशन और रेटिंग देना होता है। उनके इन्वेस्टमेंट थीसिस के आधार पर, एनालिस्ट,, कंपनी के इन्ट्रिंसिक या फेयर वैल्यू पर पहुंचते हैं, जो मौजूदा मार्केट प्राइस से ज्यादा या कम हो सकता है। टारगेट प्राइस के रूप में भी जाने जाना वाला फेयर वैल्यू इन्वेस्टर्स को इन्वेस्टमेंट डिसिशन लेने में मदद करता है। रिपोर्ट इन्वेस्टर्स को इन्वेस्टमेंट में शामिल रिस्क और चिंताओं के बारे में भी सूचित करता है।

रेटिंग और रेकमेंडेशन्स के प्रकार

रेकमेंडेशन्स और रेटिंग का इस्तेमाल अदले-बदले से किया जाता है। कन्वीनिएंस और रीडबलिटी के लिए, हम इस सेक्शन में रेटिंग का इस्तेमाल करेंगे। यहां कई तरह की रेटिंग दी गई हैं:

बाय रेटिंग : इसका मतलब है कि एनालिस्ट को उम्मीद है कि कुछ नियर-टर्म के पॉजिटिव ट्रिगर्स की वजह से शॉर्ट या मीडियम टर्म में स्टॉक में तेजी आएगी। बाय रेटिंग के प्रकार हैं:

  • मजबूत खरीद रेटिंग है, जहां एनालिस्ट का मानना है कि बहुत मजबूत ट्रिगर हैं और स्टॉक नियर-टर्म में आगे बढ़ सकता है
  • आउटपरफॉर्म रेटिंग है, जब एनालिस्ट का मानना है कि स्टॉक एक बेंचमार्क इंडेक्स या पुरे मार्केट या इंडस्ट्री में अन्य कंपनियों से बेहतर परफॉर्म कर सकता है। आउटपरफॉर्मिंग की रेटिंग के अन्य रूप ओवरवेट, अक्सुमुलेशन, ऑडिशन या मिडियम बाय हैं।

सेल रेटिंग: इसका मतलब है कि एनालिस्ट को उम्मीद है कि स्टॉक शॉर्ट से मीडियम टर्म में गिरेगा। एनालिस्ट आमतौर पर किसी कंपनी के लिए नियर-टर्म की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए स्टॉक को बेचने के लिए रेटिंग की रिकमेंडेशन करते हैं। बहुत से एनालिस्ट सेल रेटिंग के साथ सामने नहीं आते हैं क्योंकि वे उस कंपनी से जानकारी तक पहुंच खो सकते हैं जिसके लिए उन्होंने सेल की रिकमेंडेशन दी है। सेल की रिकमेंडेशन के और भी प्रकार हैं:

  • मजबूत सेल रेटिंग है जहां स्टॉक अपने करंट प्राइस से काफी नीचे गिर जाएगा और उस समय वक़्त निकल जाना चाहिए
  • अंडरपरफॉर्म रेटिंग है जहां स्टॉक से बेंचमार्क या इंडेक्स या इंडस्ट्री में अन्य कंपनियों के अंडरपरफॉर्म करने की उम्मीद की जाती है। अंडरपरफॉर्मेंस के अन्य रूप लो वेट, मीडियम सेल्स और वीक ग्रिप भी है।

होल्ड रेटिंग: ये ऐसी रेटिंग है जहां एनालिस्ट को उम्मीद है कि स्टॉक मार्केट या इंडस्ट्री के शेयरों के लाइन में परफॉर्म करेगा। ये वो रेटिंग है जो बताता है कि स्टॉक को खरीदने या बेचने दोनों से बचना चाहिए। इस रेटिंग के वेरिएंट हैं:

  • न्यूट्रल - ये वो रेटिंग है जो न तो नेगेटिव है और न ही पॉजिटिव है।
  • सिमिलर - यह वो रेटिंग है जहां एनालिस्ट को उम्मीद है कि स्टॉक सेक्टर के अंदर अन्य स्टॉक्स के एवरेज रिटर्न के बराबर होगा।

रेटिंग अपग्रेड और डाउनग्रेड

बिज़नेस के वेरिएबल्स और कंपनी के फाइनेंसियल परफॉरमेंस के आधार पर रेटिंग बदलती रहती है। एनालिस्ट डेटा के करंट सेट और मैनेजमेंट और अन्य एक्सटर्नल स्टेकहोल्डर्स के साथ उनकी बातचीत के आधार पर किसी विशेष स्टॉक के लिए अपनी रेटिंग बदलता है। ये बदलाव पॉजिटिव हो सकता है, जिसके लिए रेटिंग अपग्रेड की आवश्यकता होती है, या नेगेटिव, डाउनग्रेड की आवश्यकता होती है, या रेटिंग में कोई बदलाव नहीं होता है।

  • अपग्रेड: रेटिंग अपग्रेड का मतलब है कि एनालिस्ट ने अपनी रेटिंग को होल्ड से खरीदने या बेचने के लिए होल्ड या बेचने से खरीदने के लिए बदल दिया है। अपग्रेड शॉर्ट से मीडियम टर्म में कंपनी की संभावनाओं के बारे में पॉजिटिव प्रॉस्पेक्ट्स को दर्शाता है।
  • डाउनग्रेड: रेटिंग डाउनग्रेड का अर्थ है कि एनालिस्ट ने अपनी रेटिंग को होल्ड से बेचने या खरीदने के लिए होल्ड करने या खरीदने के लिए बेचने के लिए बदल दिया है, जो कंपनी को शॉर्ट से मीडियम टर्म में एफेक्ट करने वाले नियर टर्म के नेगेटिव वेरिएबल को दर्शाता है।
  • कोई बदलाव नहीं: एनालिस्ट भी स्टेटस बनाए रख सकता है, यानी इसमें कोई बदलाव नहीं है, जिसका अर्थ है कि करंट डेटा और इंटरैक्शन की वजह सेकोई अपग्रेड या डाउनग्रेड नहीं हुआ है।

रिसर्च रिपोर्ट का कॉन्टेंट - कहाँ देखना है और क्या

रिसर्च रिपोर्ट का कॉन्टेंट अलग अलग हो सकता है, लेकिन कम या ज्यादा वही रहता है। रिपोर्ट की ब्रॉड स्ट्रक्चर और कॉन्टेंट्स नीचे दीए गए है:

विज़ुअल कॉन्टेंट

  • टैबुलर फॉर्म में डेटा जो रिपोर्ट के पहले पेज पर दिखाई देता है
  • कंपनी डिटेल्स: कंपनी का नाम और सेक्टर
  • स्टॉक की रिकमेंडेशन: स्टॉक रिकमेंडेशन, करंट मार्केट प्राइस, टारगेट प्राइस और रेटिंग चेंज
  • कंपनी का मार्केट डेटा: मार्केट कॅपिटलायजेशन, एक्सचेंजों में वॉल्यूम, बीएसई, एनएसई या ब्लूमबर्ग कोड, शेयरों का फ्री फ्लोट, 52-सप्ताह का हाई और लो के बिना।
  • ब्रीफ फाइनेंसियल स्नैपशॉट, रेश्यो, वैल्यूएशन: प्रमुख फाइनेंसियल इंडीकेटर्स, रेश्यो और वैल्यूएशन का समरी ।
  • शेयरहोल्डिंग पैटर्न: ब्रॉड शेयरहोल्डिंग पैटर्न जैसे प्रमोटर होल्डिंग, एफआईआई होल्डिंग्स, फंडहोल्डिंग, पब्लिक होल्डिंग आदि।
  • स्टॉक परफॉरमेंस चार्ट: बेंचमार्क इंडेक्स के ज़रिये से स्टॉक परफॉरमेंस

एनालिटिकल कॉन्टेंट

  • इन्वेस्टमेंट थीसिस और वैल्यूएशन समरी: इसमें इन्वेस्टमेंट थीसिस और वैल्यूएशन के समरी पर मुख़्तसर जानकारी शामिल है। ये सेक्शन सिर्फ उन वेरिएबल्स को दिखायेगा जो इन्वेस्टमेंट बेहेस का समर्थन करते हैं ।
  • कंपनी बैकग्राउंड: इसमें कंपनी और उसके बिज़नेस सेग्मेंट्स का मुख़्तसर बैकग्राउंड शामिल है। इसमें सेक्टर की डायनामिक्स और कंपनी को सेक्टर में कैसे रखा जाता है, भी शामिल हो सकता है ।
  • डिटेल्ड इन्वेस्टमेंट थीसिस: ये शॉर्ट से मीडियम टर्म में कंपनी के परफॉरमेंस या नॉन-परफॉरमेंस में योगदान करने वाले वेरिएबल को सामने लाता है ।
  • रिस्क्स और कंसर्नस: इन्वेस्टमेंट थीसिस से जुड़े रिस्क्स और कंसर्नस पर इस सेक्शन में चर्चा की गई है ।
  • डिटेल्ड फाइनेंसियल इनफार्मेशन और वैल्यूएशन: हिस्टॉरिकल और प्रोजेक्टेड प्रॉफिट और लॉस अकाउंट, बैलेंस शीट, कॅश फ्लो स्टेटमेंट के साथ प्रमुख रेश्यो इस सेक्शन का हिस्सा हैं। इन्ट्रिंसिक वैल्यू या टारगेट प्राइस पर पहुंचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वैल्यूएशन मेथड भी इस सेक्शन का हिस्सा है ।
  • डिसक्लेमर: इस सेक्शन में जनरल डिस्क्लोजर शामिल है कि एक्सप्रेस किया गया विचार पर्सनल है और रिपोर्ट का डिस्ट्रीब्यूशन सिर्फ उस व्यक्ति के लिए है जिसके लिए यह बनाया गया है, ना कि जनता के लिए। इसमें ये भी शामिल है कि रिपोर्ट किसी भी फाइनेंसियल इन्फॉर्मेशन की खरीद या बेचने के लिए एक ऑफर का हिस्सा नहीं है और इसे री डिस्ट्रीब्यूशन के लिए दोबारा से प्रोडूस नहीं किया जाना चाहिए ।

रिसर्च रिपोर्ट पढ़ने के पॉइंट्स

  • कोई भी रिकमेंडेशन को याद नहीं करता है, किसी को एनालिस्ट द्वारा दी गई रेटिंग में बदलाव के कारणों को पढ़ना होगा। रेटिंग में बदलाव टेम्पोररी और फार रीचिंग हो सकता है।
  • इन्वेस्टमेंट थीसिस रिपोर्ट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और इन्वेस्टमेंट करने से पहले इसे पढ़ना और समझना चाहिए। इन्वेस्टमेंट करने का निर्णय लेने से पहले पब्लिक डोमेन में उपलब्ध कंपनी के बारे में नए समाचार और ग्रोथ के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए और कोशिस करना चाहिए।
  • इन्वेस्टमेंट थीसिस के रिस्क्स और कंसर्नस को अवश्य पढ़ा जाना चाहिए और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। वे शॉर्ट या मीडियम टर्म के हो सकते हैं और इन्वेस्टमेंट का निर्णय लेने से पहले उन पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
  • इवैल्यूएशन मेथोडोलोजी अन्य पॉइंट है जिसकी सावधानीपूर्वक जांच की जानी चाहिए। इवैल्यूएशन को अपनाने की प्रक्रिया और कारण को समझना होगा।

महत्वपूर्ण बातें :

  • रिसर्च रिपोर्ट इन्फोर्मटिव और इन्वेस्टमेंट डिसिशन के लिए उपयोगी होती हैं ।
  • रिसर्च रिपोर्ट के को सप्लीमेंट करने के लिए आपको अपना होमवर्क करना होगा।
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