कॅश फ्लो स्टेटमेंट कैसे पढ़ें

क्यूरेट बाय
संतोष पासी
ऑप्शन ट्रेडर और ट्रेनर; सेबी रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट

आप यहाँ क्या सीखेंगे :

  • कॅश फ्लो स्टेटमेंट बैलेंस शीटऔर पी एंड एल स्टेटमेंट से कैसे अलग है?
  • कॅश फ्लो एनालिसिस क्या है?
  • अलग अलग व्यू का इस्तेमाल करके कॅश फ्लो को समझे

Cash Flow Statement बैलेंस शीट और प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट होने पर हमें कॅश फ्लो स्टेटमेंट की ज़रूरत क्यों होती है? - ये सवाल आप पूछ सकते हैं। आइए इसे कॉन्टेक्स्ट में देखे। बैलेंस शीट एक के अनुसार कंपनी के कॅश और बैंक बैलेंस को दिखाती है, जबकि प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट से पता चलता है कि एक डिफाइंड पीरियड के दौरान कितना प्रॉफिट कमाया गया था या लॉस हुआ था।

ये दोनों फाइनेंसियल स्टेटमेंट यह नहीं दिखा सकते हैं कि बिज़नेस में, फाइनेंसियल और इन्वेस्टमेंट एक्टिविटीज से एक डिफाइंड पीरियड के दौरान कितना कॅश जेनरेट हुई था। यहाँ एक कॅश फ्लो स्टेटमेंट की ज़रूरत सामने आती है क्योंकि ये दर्शाता है कि कंपनी ने कितना कॅश जेनरेट किया है।

आइए इसे बेहतर तरीके से समझे :

नारियल बेचने वाला एक दिन में 500 नारियल 50 रुपये में बेचता है। वो दिन के अंत, में कुल 25,000 रुपये का रेवेन्यू जेनेरेट करेगा। अगर हर एक नारियल उसे 40 रुपये में मिला हुआ होता, तो उसे 5,000 रुपये का प्रॉफिट होता। अब, जब वह नारियल की कीमत 20000 रुपये चुकाने के बाद, जिस व्यक्ति से उसने उन्हें खरीदा था, उसके पास 5,000 रुपये रह जाएंगे। दूसरे शब्दों में, उसका पी एंड एल और कैश फ्लो स्टेटमेंट उस दिन के लिए नेट प्रॉफिट और कॅश सरप्लस में 5,000 रुपये दिखाएगा।

उसी दिन, एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान का मालिक 10 लैपटॉप उधार पर 25,000 रुपये में बेचता है। हर लैपटॉप उसने 20,000 रुपये में ख़रीदा था। दिन के अंत में, दुकान के मालिक ने 2,50,000 रुपये की बिक्री और 50,000 रुपये का नेट प्रॉफिट जेनेरेट किया होगा। हालाँकि, उनके कॅश फ्लो स्टेटमेंट से निल कैश सरप्लस का पता चलेगा क्योंकि उन्होंने लैपटॉप क्रेडिट पर बेचे थे।

इन आसान उदाहरणों से पता चलता है कि प्रॉफिट कमाने का मतलब कॅश जेनरेट करना नहीं है। इसलिए, डेटा सोर्स पर आंख बंद कर के भरोसा करना धोखादायक हो सकता है। कॅश फ्लो को समझे

कॅश फ्लो, कॅश की नेट अमाउंट और कॅश एक्विवैलेन्ट है जो कंपनी में इनफ्लो और ऑउटफ्लो हो रहा हैं। कॅश फ्लो स्टेटमेंट डिफाइंड पीरियड के दौरान ऑपरेशन्स, इंवेस्टमेंट्स या फाइनेंसिंग एक्टिविटीज से कॅश इनफ्लो और ऑउटफ्लो का डिटेल्स देता है।

कंपनी इस सब से कॅश प्राप्त कर सकती हैं:

  • प्रोडक्ट्स बेचना/सर्विसेस देना
  • लोन्स
  • कॅपिटल रेज करना
  • सेलिंग एसेट्स
  • इन्वेस्टमेंट करना

इसी तरह, कंपनी को इन सब के लिए कॅश पेमेंट करना होगा:

  • ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस को पूरा करना
  • लोन और इंटरेस्ट चुकाना
  • एसेट्स खरीदना
  • इंवेस्टमेंट्स करना

कॅश फ्लो स्टेटमेंट तीन एक्टिविटीज में बंटा हुआ है:

  • ऑपरेटिंग
  • इन्वेस्टिंग
  • फाइनेंसिंग

यह 31 मार्च, 2021 को ख़त्म होने वाले साल के लिए गोदरेज इंडस्ट्रीज का कॅश फ्लो स्टेटमेंट है, जो पॉजिटिव ऑपरेटिंग कॅश फ्लो को दर्शाता है, लेकिन इन्वेस्टमेंट के आउटफ्लो की वजह से ओवरऑल कॅश फ्लो नेगेटिव है।

कॅश फ्लो स्टेटमेंट का एनालिसिस

कॅश फ्लो स्टेटमेंट का एनालिसिस यानि ये कई सालों तक कॅश फ्लो का ओवरव्यू है। इन्वेस्टमेंट से जुडी फैसलें लेने से पहले कॅश फ्लो स्टेटमेंट्स को एनालाइज़ करने के लिए यहाँ कुछ पॉइंट्स दिए गए हैं।

  • कंपनी के पास अपने स्टॉक को इंवेटस्मेन्ट के काबिल बनाने के लिए कई सालों से लगातार कॅश फ्लो (ऑपरेटिंग एक्टिविटीज से) में बढ़ोतरी होनी चाहिए। अनइवेन कॅश फ्लो वाली कंपनियों से दूर रहने में ही समझदारी है।
  • आदर्श रूप से, ऑपरेटिंग एक्टिविटीज से कंपनी का कॅश फ्लो उसकी नेट इनकम से ज़ायदा होना चाहिए। यह एक पॉजिटिव कॅश फ्लो को दिखता है, जिसका मतलब है कि इनफ्लो आउटफ्लो से ज्यादा है। हालांकि, पॉजिटिव कॅश फ्लो का मतलब यह नहीं है कि कंपनी प्रॉफिट में है। कई स्टार्ट-अप के मामले को लें, जिनके पास नेगेटिव ऑपरेटिंग कॅश फ्लो है लेकिन इसे फाइनेंसिंग एक्टिविटीज से कॅश फ्लो के ज़रिये जैसे नए कॅपिटल इनफ्लो या बोर्रोविंग्स, यानी पॉजिटिव बनाया गया होता है।
  • पॉजिटिव प्रॉफ़िट्स और नेगेटिव कॅश फ्लो या नॉन-पॉजिटिव कॅश फ्लो का मतलब ये हो सकता है कि कंपनी गैर-पी एंड एल अकाउंट आइटम्स पर ज़ायदा खर्च कर रही है। दूसरी ओर, नेगेटिव कॅश फ्लो वाली कंपनियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है जो इन्वेस्टमेंट के अच्छे अवसर पेश कर सकते हैं, खासकर जब नेगेटिव कॅश फ्लो कुछ एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी इवेंट्स जैसे वोलिंटरी रिटायरमेंट स्कीम या फैक्ट्री बंद होने के जह से होता है। इसके अलावा, अगर पिछले कुछ सालों में ट्रेंड, नेगेटिव कॅश फ्लो में घटते ट्रेंड को दर्शाता है तो ऐसी कंपनियां भी देखने लायक हैं। इसी तरह, पिछले कुछ सालों में पॉजिटिव कॅश फ्लो में कमी भी कंपनी के बारे में एक चेतावनी संकेत है और इसके ऑपरेशन्स में गहरे एनालिसिस की ज़रूरत है।
  • बढ़ा हुआ और परसिस्टेंट इन्वेस्टमेंट कॅश आउटफ्लो दर्शाता है कि कंपनी के पास कोई बढ़िया इन्वेस्टमेंट के रास्ते नहीं हैं और वर्तमान में इंटरेस्ट या डिविडेंड देने वाले इंवेस्टमेंट्स में फंड्स जमा कर रही हैं। हालांकि, लॉन्ग टर्म में इस तरह के इंवेस्टमेंट्स ये भी संकेत दे सकते हैं कि कंपनी डिविडेंड या शेयर बायबैक के लिए शेयर होल्डर्स के बीच इस कॅश सरप्लस को बाँटने पर विचार कर रही है। कंपनी की सब्सिडियरी कंपनियों में इन्वेस्टमेंट में इन्क्रीमेंट के लिए ऐसी सब्सिडियरी कंपनियों के फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स का डिटेल्ड स्टडी की ज़रूरत होती है।

ज़रूरी बातें :

  • कैश फ्लो स्टेटमेंट का एनालिसिस कंपनी की फाइनेंसियल कंडीशन का एक स्पष्ट इंडिकेशन है।
  • भारत जैसी बढ़ती इकोनॉमी में, जहाँ बहुत सारी कंपनियां ग्रोथ ओरिएंटेड हैं, प्रॉफिट और कॅश फ्लो दांव पर होगा क्योंकि कंपनियां ग्रोथ के लिए नई एसेट्स में इन्वेस्टमेंट करती रहती है।
  • यह कैश फ्लो स्टेटमेंट को इन्वेस्टर्स, प्रमोटरों, मैनेजमेंट के साथ-साथ ट्रेडर्स के लिए ज़ायदा योग्य बनाता है।
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